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भारतवर्ष में संस्कृतिनिष्ठ संस्कृतशिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु डॉ. सुनीतिकुमारचटर्जी की अध्यक्षता में गठित प्रथम संस्कृत शिक्षा आयोग के द्वारा दी गई संस्तुतियों के क्रियान्वयन हेतु भारतसर्वकार के द्वारा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली को नोडल एजेन्सी के रूप में 1971 ई. में स्थापित किया गया। संस्कृशिक्षा के प्रचार-प्रसार की संकल्पना को फलीभूत करने के उद्देश्य से भारतवर्ष के उत्तरदिशा में हिमालय की गोद में स्थित जम्मू-काश्मीरराज्य की जम्मू नगरी में स्थापित श्रीरणवीरपरिसर में डॉ. मण्डनमिश्र के अथकप्रयासों से 1979 में सर्वप्रथम संस्कृतशिक्षक-प्रशिक्षणार्थ शिक्षा-शास्त्रिपाठ्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, श्रीरणवीरपरिसर, जम्मू में सञ्चालित शिक्षाशास्त्रविभाग के प्रथम विभागाध्यक्ष सुप्रतिष्ठित शिक्षाशास्त्री डॉ. मनोहरलालआर्य थे। अभी तक 18 आचार्यों ने विभाग के अध्यक्ष पद को अलङ्कृत करते हुए विभाग के उत्तरोत्तर उत्कर्ष में योगदान दिया है। भारतीयसंसद के केन्द्रीयविश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा अप्रैल 2020 में प्रकाशित राजपत्र के आधार पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्रदान की गई। तदुपरान्त केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा NEP 2020 की संकल्पना को पूर्ण करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो. श्रीनिवासवरखेडी महोदय के मार्गनिर्देशन में शिक्षाशास्त्रविभाग को शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखा के रूप में पुनर्गठित किया गया। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रीरणवीरपरिसर में निदेशक के रूप में कार्यरत शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखाध्यक्ष प्रो. मदनमोहनझा ने शिक्षाप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व नवोन्मेषी कार्य किये हैं। सम्प्रति शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखा में 19 वें अध्यक्ष के रूप में दिनांक 21.10.2022 से डॉ. ऋषिराज ने पदभार ग्रहण किया है। शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखा में सञ्चालित शिक्षाशास्त्रिपाठ्यक्रम एक व्यावसायिकपाठ्यक्रम है। जिसके माध्यम से प्रतिवर्ष 110 प्रशिक्षुछात्राध्यापक शिक्षक-प्रशिक्षण में निपुणता प्राप्त करते हैं। शिक्षाशास्त्रिपाठ्यक्रम में परम्परागत शिक्षा के साथ-साथ भारतीयशिक्षादर्शन, शिक्षामनोविज्ञान, भारतीयशिक्षाव्यवस्था, आधुनिकशिक्षा एवं प्रौद्योगिकीशिक्षा का ज्ञान प्रशिक्षुछात्राध्यापकों को शिक्षणाधिगमप्रक्रिया के अन्तर्गत प्रदान किया जाता है तथा प्रशिक्षुछात्राध्यापकों के लिए 4 मास का प्रशिक्षुता कार्यक्रम शिक्षक-प्रशिक्षण का अभिन्न हिस्सा है। शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखा के द्वारा प्रकाशित "शिक्षामृतम्" UGC-CARE LISTED एक वार्षिकी शोधपत्रिका है, जो प्राध्यापकों एवं प्रशिक्षु विद्यार्थियों के गवेषणापरक चिन्तन को एक नूतन आयाम प्रदान करती है। 1979 से वर्तमान तक लगभग 4000 प्रशिक्षुछात्राध्यापक प्रशिक्षणोपरान्त देश के विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षिकसंस्थाओं में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त श्रीरणवीरपरिसर, जम्मू के शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखा में अपनी सेवायें दे चुके कतिपय आचार्य देश के लब्ध प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में कुलपति के पदों पर भी आसीन रहे हैं जो कि शिक्षाशास्त्र-विद्याशाखा को गौरवान्वित करता है।
ITEM | DETAILS |
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Annual Intake | 110 |
Teaching Staff Members | View |
Student Details | View |
Fee Structure | View |
Facilities | View Document , View pictures/videos |
Biometric | Biometric attendance for all staff members |
Library | View |
Affiliation | View |
Equivalence | View |
Not for Profit Certificate | View |
Building Completion Certificate | View |
Land Details with MAP | View |
Income and Expenditure Account (31.03.2022) | View |
Receipt and Payment Account (2021-22) | View |
Balance Sheet (31.03.2022) | View |